भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव

भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव...
PM arrives in Tianjin, China on August 30, 2025.

भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव

भारत–चीन–रूस और SCO समिट : एक नज़र



31 august  को भारत sco की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन पहुंच गए है । आज की बदलती दुनिया में जब हर देश अपने लिए मज़बूत जगह बनाने की कोशिश कर रहा है, तब SCO (Shanghai Cooperation Organisation) जैसे संगठन बहुत अहमियत रखते हैं। क्योंकि यह संगठन ग्लोबल साउथ के लिए जितना सार्क संगठन इंपोर्टन है 7तन ही यह संगठन महत्वपूर्ण है । अगर इसके सदस्य की बात करे तो इसमें भारत, चीन, रूस समेत कई देश जुड़े हैं और हर साल होने वाली SCO समिट पूरी दुनिया का ध्यान खींचती है।

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भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव

भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव

SCO क्या है? (What is the sco )

SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन,जो ग्लोबल साउथ को एक बड़े मंच पर लेके आया है । जिसकी स्थापना साल 2001 में हुई थी। शुरुआत में इसमें चीन, रूस, कज़ाख़िस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे। बाद में भारत और पाकिस्तान भी 2017 में इसके सदस्य बने। आज यह संगठन यूरोप और एशिया के सबसे बड़े बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म में से एक है।

भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव


भारत–चीन–रूस की भूमिका

1. भारत की भूमिका

भारत इस मंच का इस्तेमाल अपनी विदेश नीति और रणनीतिक हितों को मज़बूत करने में करता है। साथ ही अपनी कूटनीति के तहत चीन को संतुलित करेगा

हमारी कूटनीत के तहभारत ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और व्यापारिक संबंधों पर ज़ोर देता है। यह हमारी कूटनीति है।

हमारा मुख्य फोकस “कनेक्टिविटी” यानी एक देश से दूसरे देश तक जुड़ाव को लेकर भारत हमेशा सावधानी बरतता है, खासकर चीन की Belt and Road Initiative (BRI) पर।

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2. चीन की भूमिका



चीन SCO को अपने क्षेत्रीय ओर तो ओर  प्रभाव बढ़ाने के हथियार की तरह देखता है।

वह का  व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ी भूमिका निभाना चाहता है साथ ही साथ अपने संबंध को एक बड़े पैमाने पर लेके जाने वाले है।

यह पर एक समस्या भी है , लेकिन भारत और चीन के बीच सीमाई तनाव (LAC विवाद) इस सहयोग को सीमित करता है।


3. रूस की भूमिका

रूस हमेशा SCO को पश्चिमी देशों (खासकर अमेरिका और NATO) के मुकाबले में एक बड़ा ग्रुप मानता है।

रूस आज कल चीन के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने मै अपनी कूटनीतिक चाल की प्रयोग कर रहा है । हालांकि उसने कहा है कि इसका भारत के संबंध के ऊपर कोई प्रभाव नही पड़ेगा।।


रूस भारत और चीन, दोनों के साथ बैलेंस रखने की कोशिश करता है। रूस पाकिस्तान के साथ भी अपने संबांध को आगे बढ़ा रहा है । क्योंकि वह भारत, चीन , पाकिस्तान को बैलेंस करना चाहता है ।

यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के लिए SCO और भी अहम हो गया है क्योंकि उसे नए साझेदार चाहिए।



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SCO समिट 2025 के मुख्य मुद्दे (भारत–चीन–रूस के नजरिए से)

आतंकवाद और सुरक्षा : आतंकवाद से लड़ाई को सबसे बड़ा एजेंडा बनाया गया। आज भारत और चीन दोनों ही आतंकवादी गतिविधियों को नापसंद करते है ।

ऊर्जा सहयोग : तेल और गैस सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने की बात हुई। Energy साझेदारी

ट्रेड और कनेक्टिविटी : व्यापार बढ़ाने और नए रूट्स पर चर्चा हुई। कनेक्टिविटी को लेकर बड़ा महत्व

जियोपॉलिटिक्स : यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान और अमेरिका की नीतियों पर अप्रत्यक्ष बातचीत।

भारत–चीन तनाव : बॉर्डर विवाद को हल करने पर भी बैकडोर बातचीत की चर्चा।


भारत–चीन–रूस: SCO समिट 2025 के बड़े मुद्दे और प्रभाव


सवाल” (FAQ Style)

Q1. SCO की स्थापना कब और क्यों हुई थी?
👉 साल 2001 में, क्षेत्रीय सहयोग, सुरक्षा और आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने के लिए।

Q2. भारत को SCO से क्या फायदा है?
👉 आतंकवाद विरोधी सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, नए व्यापारिक मौके और एशियाई देशों में मज़बूत पहचान।

Q3. चीन और भारत के बीच कौन सी चुनौतियाँ हैं?
👉 सीमा विवाद, BRI प्रोजेक्ट पर मतभेद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा।

Q4. रूस की क्या भूमिका है?
👉 वह भारत और चीन दोनों के बीच बैलेंस बनाकर SCO को पश्चिमी दबाव के खिलाफ मज़बूत बनाना चाहता है।


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निष्कर्ष

SCO समिट सिर्फ एक औपचारिक मीटिंग नहीं है, बल्कि यह एशिया की राजनीति, व्यापार और सुरक्षा का भविष्य तय करने वाला मंच है। भारत, चीन और रूस की त्रिकोणीय भूमिका इसमें सबसे अहम है। जहाँ भारत अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करना चाहता है, वहीं चीन अपने आर्थिक साम्राज्य को मज़बूत करना चाहता है और रूस पश्चिमी दबाव से निकलने का रास्ता ढूँढ रहा है।

आने वाले समय में SCO की हर समिट का असर पूरे एशिया और दुनिया की राजनीति पर दिखेगा। इसलिए इसे समझना और इसके मुद्दों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है।

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